tag:blogger.com,1999:blog-8909420382424371761.post535141062871254628..comments2023-12-14T20:05:18.716+05:30Comments on मेरी बाल कहानियाँ : जब मैं कहानी पढ़कर रोया था ('अपना बचपन'-भोपाल में प्रकाशित) Mohd. Arshad Khanhttp://www.blogger.com/profile/14536763539749307608noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8909420382424371761.post-75302847605252822402020-07-15T08:18:36.185+05:302020-07-15T08:18:36.185+05:30बहुत अच्छा लिखा है। पहले भी पढ़ा था। फिर से पढ़ा तो ...बहुत अच्छा लिखा है। पहले भी पढ़ा था। फिर से पढ़ा तो उसी आनन्द से पूरा पढ़ गया। वे दिन भी सच अमोल दिन थे। <br />आप सतत सक्रिय रहें, हमेशा की तरह यही दुआ करता हूँ।डॉ. नागेश पांडेय संजयhttps://www.blogger.com/profile/02226625976659639261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8909420382424371761.post-20285939285130676152020-07-15T08:07:09.185+05:302020-07-15T08:07:09.185+05:30बहुत अच्छा लिखा है। पहले भी पढ़ा था। फिर से पढ़ा तो ...बहुत अच्छा लिखा है। पहले भी पढ़ा था। फिर से पढ़ा तो उसी आनन्द से पूरा पढ़ गया। वे दिन भी सच अमोल दिन थे। <br />आप सतत सक्रिय रहें, हमेशा की तरह यही दुआ करता हूँ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12231100423991005087noreply@blogger.com