Friday, 21 February 2025

टिंबकटूँ और अफलातून

 

दो जादूगर थे। एक का नाम था टिंबकटूँ, दूसरे का अफलातून। दोनों के घर पास-पास थे। लेकिन पड़ोसी होने के बावजूद उनमें मेल-जोल नहीं था। लोग कहा करते थे--

  एक दिसंबर दूसरा जून,

 टिंबकटूँ और अफलातून।


एक दिन दोनों में किसी बात पर झगड़ा हो गया।

टिंबकटूँ ने गुस्से में एक तिनका उठाया। अगड़म-बगड़म छूकहकर फूँक मारी। तिनका एक मोटा, तेल पिलाया हुआ डंडा बन गया और उड़ चला अफलातून की ओर। अफलातून भी कम नहीं था। उसने भी एक तिनका उछाला। तिनका झटपट तलवार में बदल गया। तलवार ने लपककर डंडे के दो टुकड़े कर दिए।

अपने वार को असफल होते देख टिंबकटूँ को बहुत ग़ुस्सा आया। इस बार उसने ढेर सारे तिनके उठाए और अफलातून की ओर उछाल दिए। तिनके हवा में उड़ते ही तीर बन गए। चमचमाते-नुकीले फालों वाले। तीरों को अपनी तरफ आता देख अफलातून ने एक कपड़ा हवा में उछाला। वह कपड़ा फौरन मज़बूत ढाल बन गया। उसने सारे तीरों को बीच में ही रोक लिया।

अब तो ग़ुस्से से टिंबकटूँ की मूँछें फड़फड़ाने लगीं। उसने एक डंडा उठाकर फेंका। डंडा काले साँप में बदल गया और फन फैलाकर अफलातून की ओर लपका। अफलातून ने फौरन ही जादू से एक चील बना दी। वह साँप को पंजों में लेकर उड़ गई।


टिंबकटूँ के ग़स्से का ठिकाना न रहा। उसने मुट्ठी भरकर धूल उठाई और अगड़म-बगड़म छूकहकर अफलातून के आँगन में उछाल दी। धूल ढेर सारे ज़हरीले बिच्छुओं में बदल गई। बिच्छू अपने डंक उठाकर अफलातून की ओर लपकने लगे। लेकिन अफलातून बिल्कुल भी नहीं घबराया। उसने फौरन जादू से बवंडर बना दिया। गोल-गोल घूमता बवंडर सारे बिच्छुओं को आसमान में उड़ा ले गया।


इस बार टिंबकटूँ ने आग का एक गोला बनाकर अफलातून की ओर उछाला। आग का गोला ऐसा लपलपाया कि आस-पास उड़ रहे पक्षी डरकर भाग चले। अफलातून ने फौरन पानी भरा बादल बनाया और आग के गोले पर छोड़ दिया। आग का गोला फुस्सहो गया।

टिंबकटूँ ने अबकी एक शेर बनाया। ख़ूँखार और ताक़तवर। शेर इतनी ज़ोर से दहाड़ा कि आस-पास घरों के शीशे हिलने लगे। लेकिन शेर ज्योंहि अफलातून की ओर लपका, उसने एक मज़बूत जाल में शेर को क़ैद कर दिया।

जाल काटने के लिए टिंबकटूँ ने ढेर सारे चूहे छोड़ दिए। अफलातून ने फौरन ही उनके पीछे बिल्लियों को दौड़ा दिया। चूहे डर के मारे वापस भागे। छिपने की जगह न पाकर चूहे टिंबकटूँ के कपड़ों में घुस गए।

टिंबकटूँ उछल पड़ा। उसे गुदगुदी होने लगी। इस बार वह जादू से एक भयंकर गुरिल्ला बनाना चाहता था। पर चूहों की गुदगुदी से उसका जादू उलट गया। गुरिल्ले की जगह ढेर सारे सफेद कबूतर बन गए। कबूतर फड़फड़ाते हुए अफलातून के कंधों पर बैठ गए। एक कबूतर उसके सिर पर बैठकर गुटरगूँ करने लगा।

अफलातून ने सोचा शायद टिंबकटूँ उससे दोस्ती करना चाहता है। वह बहुत ख़ुश हुआ। उसने ढेर सारे फूल टिंबकटूँ पर बरसा दिए। फूलों की ख़ुशबू से टिंबकटूँ का मन बदल गया। वह चाहकर भी ग़ुस्सा न रह सका। उसने अफलातून से कहा, ‘‘मेरे दोस्त मुझे माफ कर दो। बेकार की लड़ाई में कुछ नहीं रखा है।’’

अफलातून लपककर टिंबकटूँ से गले मिल गया।

फिर दोनों ने मिलकर रंग-बिरंगे गुब्बारे उड़ाए। इतने गुब्बारे कि उनसे पूरा आसमान भर गया।