Sunday 29 December 2019

रूनू को मत रुलाना





...और रूनू रो पड़ी।  
इतना रोई कि उसके आँसू गिरकर कमरे में फैलने लगे। हर ओर पानी ही पानी हो गया। पहले तो पानी दरवाज़े की दराज़ों से भागा। पर पतली-सी दराज़ से पानी कहाँ तक निकल पाता? जल्दी ही कमरा लबालब हो गया और पानी खिड़कियों से झरने की तरह गिरने लगा।
 दरवाज़े दबाव न सह पाए तो एकाएक खुल गए और पानी हिलकोरे लेकर सड़क पर बह चला। पानी में रूनू की चर्र-चूँकरनेवाली पीली बतख़ भी तैर गई।
बाहर सड़क पर जा रही दो भैंसे घबराकर किनारे की ओर भागीं। लेकिन बाढ़ के रेले की तरह दौड़े आ रहे पानी से वे न बच सकीं। पर जल्दी ही तैरकर उन्होंने अपना सिर बाहर निकाल लिया। उमस भरी गर्मी में वे नहाने के लिए नदी तक जा रही थीं। लेकिन पानी में पूरा भीगकर भी उन्हें ख़ुशी नहीं हुई क्योंकि खारा पानी शरीर में चिकोटियाँ काट रहा था।
पानी की मोटी-सी धार आते देख कुत्ते भौंकने लगे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे किधर भागें। पानी में घिरकर वे भी हाथ-पैर मारने लगे। एक मेंढक भी उसी पानी में तैर रहा था। खारे पानी से घबराकर वह भैंस की पीठ पर सवार हो गया।
बगीचे में लगे गुलाब खारे पानी से मुरझा गए। बोगनवेलिया ने डर के मारे फूलों से लदी घाघरेदार डालें ऊपर कर लीं। मालती की नन्हीं लता ने अपने पंजों पर उठकर बचने की कोशिश की, पर वह तो पूरा ही डूब गई।

पानी आगे चलकर चौराहे तक पहुँचा तो अफरा-तफरी मच गई। ट्रैफिक जाम हो गया। लोग अपनी-अपनी गाड़ियों से निकलकर भागे। पानी एक मोटी दीवार की तरह चला आ रहा था। लोग डर के मारे गाड़ियों की छत पर चढ़ गए। कुछ लोग बिजली के खंभों पर जा चढ़े। दूकानें फटाफट बंद होने लगीं। जो लोग घरों में थे वे छत पर चढ़ गए।
सरकार को पता चला तो उसने समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों का दल बुलाया। सफेद दाढ़ी-मूछों और मोटे-मोटे चश्मोंवाले विशेषज्ञ आ जुटे। मक्के की तरह सफेद बालोंवाले सबसे बूढ़े विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘हम यह तो जानते हैं नदी कैसे जन्म लेती है और सागर में जाकर कैसे मिलती है। पर इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। हमारे पास इसे रोकने का कोई तरीक़ा नहीं।’’
सबने सिर में सिर हिलाकर ज़ोर-ज़ोर से हामी भरी।
जब सब विशेषज्ञ आपस में बहस कर रहे थे तो कहीं से एक चिड़िया वहाँ आकर बैठ गई और कहने लगी, ‘‘मैं जानती हूँ यह नदी कहाँ से निकली है और इसे कैसे रोका जा सकता है?’’
सब हैरानी से उसकी ओर देखने लगे। वे चाहते थे कि अदना-सी चिड़िया की बात हँसी में उड़ा दें। पर उनके पास चिड़िया की बात मान लेने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था।
‘‘ठीक है, तुम ही कोशिश करो।’’ विशेषज्ञों ने सिर झुकाकर कहा।
चिड़िया उड़ चली पर झरोखे तक जाते-जाते ठहरकर बोली, ‘‘लेकिन ध्यान रहे, अब आगे से रूनू को कभी मत रुलाना।’’ 

4 comments:

  1. रोचक और चित्रतात्मक कहानी

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  2. Hi, This is Manisha Dubey, this is nice article it's really helpful for me thanks for submitting the post. please keep to up.

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  3. आंसुओं की बाढ़! न कभी देखी न कभी सुनी। मैं तो दंग रह गई।

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